नई पुस्तकें >> कविता पाठक आलोचना कविता पाठक आलोचनानिशान्त
|
0 |
इस पुस्तक में उठाये गये प्रश्न कविता के अन्तःपुर के रहवासी के प्रश्न हैं। उसकी प्रामाणिकता और जवाबदेही असंदिग्ध है। निशान्त पिछले डेढ़ दशक से कविताएँ लिख रहा है। कविताएँ उसकी मांस और म%जा में लहू की तरह प्रवाहित हैं। कविता लिखते हुए वह जीवन की साँसों को नियन्त्रित नहीं करता। यहाँ कविता लिखने का जोखिम भी है और साँसों के उतार-चढ़ाव का रोमांच भी। साँसों के इन्हीं बढ़ते-घटते क्षणों में वह कविता के दायरे को विस्तृत करने की कोशिश करता है। पिछले एक वर्ष में उसके द्वारा लिखे गये ये आलेख कविता और कविता- समय एवं कविता के जीवन का जायजा लेने की कोशिश का परिणाम हैं।
|